हिन्दी चिट्ठाजगत का दस्तूर है टिप्पणियाँ दो और पाओ! आप किसी के चिट्ठे पर टिप्पणियाँ करते हो तो आपको भी टिप्पणीयाँ मिलती है।
- आप जब नई पोस्ट लिखते हो तो आपको पोस्ट में पुलकोट आदि लगाना हो तो आपको उसके कोड की जरूरत होगी। और इसके लिये आपको कोड को सुरक्षित की गई फाईल को बार बार खोलनी होगी। अगर आप इन सब झंझटों से मुक्ति पाना चाहते हों तो आपकी सहायता के लिये फायरफोक्स का एक छोटा सा ( मात्र 110Kb) प्लगइन हाजिर है जो आपकी टिप्पणियों और पुलकोट के कोड आदि को सिर्फ एक क्लिक करते ही आपके सामने ले आयेगा। कुछ इस तरह
आप अगर इस सुविधा को अपने फायरफोक्स में जोड़ना चाहते हैं सबसे पहले इस पोस्ट को एक बार फिर से फायर्फोक्स में खोल लें। अब नीचे दिये बटन पर एक बार क्लिक करें जिससे एक खिड़की खुलेगी और आपसे इन्स्टाल करनी की अनुमति मांगी जायेगी। आप ओके कर लें बस आपका काम हो गया है। फायर फोक्स को एक बार रिस्टार्ट कर लें।
देखिये आपके फायर फोक्स ब्राऊजर में दाहिनी और सबसे नीचे एक चिन्ह और जुड़ गया है, चित्र देखें-
बस इस चिन्ह पर क्लिक करते ही आपके सामने जो खिड़की खुली है उसमें Discreption की जगह शीर्षक और Text की जगह जो चाहें लिख कर इसे बन्द कर दें। अब अगली बार आपको जब भी टिप्पणी करनी हो या पोस्ट में पुलकोट लगाना हो आप चिन्ह पर क्लिक कर कॉपी- पेस्ट कर लें।
( इस पोस्ट को लिखने और फोटो में वाटर मार्क लगाने में जीतू भाई की यह पोस्ट मददगार रही, धन्यवाद|
8 टिप्पणियाँ:
ज्ञान के सागर हैं आप सागर भाई। नए साल की शुभकामनाएं।
अच्छा लिखा है भाई आपने और सबसे अच्छी बात ये हैं कि समझ में आया भी है
ये मैंने आपकी तकनीक से ही किया है
सही है जी, अपन तो Maxthon का प्रयोग करते हैं, उसमें इस तरह के काम के टोटके पहले से ही हैं। :)
सागर भाई , नए साल की बधाइयां। दुआ करें की ये तमाम तकनीकी बातें समझने की बुद्धि ऩए साल में आ जाए। ( जो कि नहीं आनी है। )
ज्ञान वर्धन के लिए कोटिश धन्यवाद. अब कितना इस खोपडी में घुसा है ये तो आजमा के देखना पड़ेगा लेकिन जितनी मुझे अपनी बुध्धि की क्षमता के बारे में पता है उसके अनुसार इस पोस्ट को १०-१२ बार पढ़ना पड़ेगा.
नीरज
मस्त! नव वर्ष के 'तकनीकी दस्तकीय' तोहफे के लिये बहुत धन्यवाद।
સાલ મુબારક . સપ્રેમ , અફલાતૂન
बढिया लिखा है सागर भाई और सच भी लिखा है । आजकल टिप्पणियों का लालच हर लिखने वाले को हो रहा है । वैसे तुमको क्या लगा ये लालच मुझे नहीं है? अरे भाई मैं भी इसी दुनिया की हूँ और सारी कमियाँ मुझमें भी हैं । अब सोच क्या रहे हो? चुपचाप मेरे ब्लाग पर जाओ और अच्छी सी टिप्पणी दे आओ । शाबाश । जीते रहो ।
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